Saturday, October 8, 2022

मैं पुरुष तुम नारी बन जाओ


हिन्दी कविता (Hindi Poem):-

 

आज मैं ऑफिस जाऊं 

तुम घर की रोटियां बनाओ 

आज मैं भी देर से जागूं गी भोर में 

आज मुझसे पहले तुम जल्दी उठ जाओ

मैं पुरुष तुम नारी बन जाओ

तुम्हारे कपडे पहनकर मैं घर से निकलूगी

आज तुम साड़ी पहनकर जरा घर में झाड़ू पोछा तो लगाओ

अक्सर मुझसे देर हो जाती है बच्चों को स्कूल पहुंचाने में 

आज हो सके तो बच्चों को जल्दी स्कूल तुम पहुंचाओ 

मैं पुरुष तुम नारी बन जाओ

अक्सर मुझसे तुम कहते हो तुमको तो घर में रहकर ही घर का

काम करना है 

मुझको तो बाहर जाना है चार बात अफसर की सुनना है तब

कहीं जाकर घर लौट सकून की रोटी खाना है 

आज मैं भी घर लौट कर सकून की रोटी खाऊंगी 

तुम्हारी जो तकलीफें हैं उनको मैं भी सहूंगी और आज उनसे मैं

भी जद्दोजहद करके घर लौट कर आऊंगी

मैं पुरुष तुम नारी बन जाओ

तुम आज घर में रहकर मेरे लिए खूब सारे पकवान बनाना

बच्चों के कपड़े धोना अम्मा के पैर दबाना 

अम्मा की किचकिच सुनकर उनकी बातों को अनसुना करके

चले आना

बच्चों को बैठकर थोड़ी देर पढ़ा देना थोड़ा सा अपना रोब मां

की तरह तुम भी उन पर जता देना 

मैं पुरुष तुम नारी बन जाओ

मैं घर आऊं तुम मुझको देखकर मुस्कुराओ 

एक कप चाय का प्याला सांग मे बिस्किट नमकीन भी ले आओ

मैं भी तुमको गुस्से में कहूं कि पहले पानी दिया जाता है

ऑफिस से आते ही क्या गरम चाय ही पहले पिया जाता है


आज मैं भी तुम पर गुस्सा दिखाऊंगी तुम्हारे संग तू तू मैंकरूंगी फिर तुम पर प्यार लुटाऊंगी

मैं तुम्हारे हर कष्ट को जानती हूं तुम्हारे द्वारा किए जाने वाले

मेहनत को भी पहचानती हूं 

आज तुमको भी मेरी मेहनत को पहचानना है क्या कष्ट मुझको

होता है यह तुमको भी जानना है

मैं पुरुष तुम नारी बन जाओ।

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